A memory (yaad)
Sunday 24 February 2013
मै एक इन्सान हूँ , एक इंसान जिसे भूख लगती है , जिसे याद आती है वक़्त के सिमटने का जैसे कोई
रेत मुठी से फिसली जा रही है और धुल उराती उन बचपन की गलियों की जहाँ मेरी और सिर्फ मेरी ही बातें
थी .............क्या मैं समझ पा रहा हु और मैं बिखरता जा रहा हूँ
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment